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Loksabha Elections से ठीक पहले हुए Rajyasabha Election में NDA ने INDI गठबंधन को कैसे धो डाला?

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विपक्ष का इंडिया गठबंधन जितना खुद को संभालने की कोशिश करता है उतना ही बिखरता चला जाता है। देखा जाये तो इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस गठबंधन में शामिल दलों के शीर्ष नेता तो आपस में गठजोड़ कर रहे हैं लेकिन इनकी पार्टियों के अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय नहीं हो पा रहा है। इसलिए इस गठबंधन में सिर्फ विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेता ही नजर आ रहे हैं मगर इन नेताओं के हाथ से उनकी पार्टी तेजी से फिसलती चली जा रही है। इसकी ताजा बानगी राज्यसभा चुनावों में देखने को मिली है। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच हुए चुनावी मुकाबले में बाजी एनडीए ने मार ली है। हम आपको बता दें कि राज्यसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन को तगड़ा झटका लगा है क्योंकि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के विधायकों ने जहां जमकर क्रॉस वोटिंग की वहीं बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की विधायक ने पाला बदल कर भाजपा का दामन थाम लिया है।
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश की बात करें तो यहां सत्तारुढ़ कांग्रेस ने सोचा भी नहीं होगा कि पार्टी में इतनी बड़ी बगावत और क्रॉस वोटिंग हो जायेगी। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेसी खेमे में जो कुछ हुआ वह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए खतरे की घंटी है। हम आपको बता दें कि यहां कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी उम्मीदवार थे। भाजपा ने अपने उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के पूर्व मंत्री हर्ष महाजन को उतारा था। तीन बार कांग्रेस के विधायक रहे और राज्य के पूर्व मंत्री महाजन ने सितंबर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। कांग्रेस के पास 68 में से 40 विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ स्पष्ट बहुमत है। कांग्रेस ने सिंघवी के लिए वोट सुनिश्चित करने के वास्ते अपने विधायकों को व्हिप जारी किया था, जिसके बाद भाजपा ने सत्तारुढ़ कांग्रेस पर अपने सदस्यों पर दबाव बनाने के लिए व्हिप जारी करने का आरोप लगाया और कहा कि विधायक लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए हैं और उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार वोट देने का अधिकार है। बाद में खबर आई कि मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी।

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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश की बात करें तो आपको बता दें कि सोमवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा बुलाई गई बैठक में सपा के आठ विधायक शामिल नहीं हुए थे तभी से उनके पाला बदलने की अटकलें लगनी शुरू हो गयी थीं। राज्यसभा चुनाव में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी ने आठ और समाजवादी पार्टी ने तीन उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। भाजपा ने अपने आठवें उम्मीदवार के रूप में संजय सेठ को मैदान में उतारा है। भाजपा के सात अन्य उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.पी.एन. सिंह, पूर्व सांसद चौधरी तेजवीर सिंह, पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के महासचिव अमरपाल मौर्य, पूर्व राज्य मंत्री संगीता बलवंत (बिंद), पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, पूर्व विधायक साधना सिंह और आगरा के पूर्व महापौर नवीन जैन हैं। सपा ने अभिनेत्री-सांसद जया बच्चन, सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी एवं उप्र के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और दलित नेता रामजी लाल सुमन को मैदान में उतारा है। हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ा झटका राज्य विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय ने दिया। उन्होंने राज्यसभा चुनाव में मतदान वाले दिन ही अपना त्यागपत्र अखिलेश यादव को भेज दिया। मनोज पांडेय के साथ ही समाजवादी पार्टी के सात अन्य विधायक मुकेश वर्मा, महाराजी प्रजापति, पूजा पाल, राकेश पांडे, विनोद चतुर्वेदी, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह ने भी भाजपा उम्मीदवार का साथ दिया।
बिहार
जहां तक बिहार की बात है तो आपको बता दें कि वहां भी महागठबंधन को तगड़ा झटका लगा है। बिहार में कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ, मुरारी प्रसाद गौतम और राष्ट्रीय जनता दल की विधायक संगीता देवी ने भाजपा का दामन थाम लिया है। कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ जहां पटना की बिक्रम सीट से विधायक हैं वहीं मुरारी प्रसाद गौतम महागठबंधन सरकार में मंत्री रहे थे। हम आपको याद दिला दें कि हाल ही में नीतीश सरकार के विश्वास मत के दौरान भी राष्ट्रीय जनता दल के तीन विधायकों ने पाला बदल कर सत्तारुढ़ जनता दल युनाइटेड का हाथ थाम लिया था।

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