कश्मीर के एक परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से अपील की है कि वह उनके बेटे को रूस से वापस लाने में मदद करे। इस परिवार का कहना है कि उनके बेटे ने यूट्यूब पर एक नौकरी का मौका देखकर उसके लिए आवेदन किया। जिसके बाद उसे पहले मुंबई और फिर बाद में चेन्नई ले जाया गया और वहां से दुबई भेज दिया गया और फिर वहां से उसे एजेंटों ने रूस भेज दिया। रूस भेजे गये कश्मीरी लड़के का नाम आजाद युसूफ कुमार बताया जा रहा है। उसके भाई सज्जाद अहमद कुमार ने मीडिया से कहा कि मास्को में एजेंटों ने उसे जबरन रूसी सेना में कांट्रेक्ट पर रखवा दिया और उसे 15 दिन का प्रशिक्षण भी दिया गया। सज्जाद अहमद कुमार ने कहा कि उसे यूक्रेनी सेना से भिड़ने के लिए भेज दिया जहां उसके पैर में गोली लग गयी। उन्होंने कहा कि हमारा अपने भाई से संपर्क नहीं हो पा रहा है लेकिन बताया जा रहा है कि इस समय वह काला सागर के पास तैनात है और बड़ी मुश्किल में है। उन्होंने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि हमारे परिजन को वापस लाया जाये।
हम आपको बता दें कि इस मामले में भारत सरकार का कहना है कि सरकार रूसी सेना में सहायता कर्मी के रूप में काम कर रहे करीब 20 भारतीयों कों ‘जल्द से जल्द सुरक्षित वापस’ लाने की पूरी कोशिश कर रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने इस सप्ताह कहा था कि हम ऐसा मान रहे हैं कि लगभग 20 लोग (भारतीय) रूसी सेना में सहायक कर्मचारी या सहायक के रूप में काम करने गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षित वापस लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।’ जयसवाल ने कहा कि 20 लोगों ने मॉस्को में भारतीय दूतावास से संपर्क किया है। जयसवाल ने कहा, ‘हम उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘वे (भारतीय नागरिक) विभिन्न स्थानों पर हैं और हमारा दूतावास रूसी अधिकारियों के संपर्क में है।’
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जयसवाल ने कहा कि भारतीयों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए सरकार नयी दिल्ली और मॉस्को दोनों जगहों पर रूसी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में है। उन्होंने कहा, ‘हमने वहां फंसे लोगों से कहा है कि वे युद्ध क्षेत्र में न जाएं या फिर कठिन परिस्थितियों में न फंसें। हम अपने सभी लोगों की भलाई के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।’ हम आपको एक बार फिर बता दें कि मीडिया की खबरों के मुताबिक, रूसी सेना में सुरक्षा सहायक के रूप में भर्ती किए गए कई भारतीयों को यूक्रेन से सटी रूस की सीमा के कुछ क्षेत्रों में रूसी सैनिकों के साथ मिलकर लड़ने के लिए भी मजबूर किया गया है।
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