इंदौर के राजा रघुवंशी और सोनम का हनीमून हॉरर हत्याकांड की एक घटना मात्र नहीं बल्कि वह कड़वी सच्चाई है जोकि भारतीय समाज में अब लगातार देखने को मिल रही है। आज सोनम आरोपी है, कल मुस्कान आरोपी बनी थी संभव है कल को कोई नई आरोपी सामने आयेगी? सवाल यह है कि महिलाएं अपना ही सिंदूर खुद क्यों उजाड़ रही हैं? सवाल यह भी है कि ये घटनाएं किन कारणों से हो रही हैं? सवाल उठता है कि पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ, हरितालिका तीज तथा कई अन्य कठिन व्रत रखने वाली महिलाएं अपने पति की हत्या क्यों कर रही हैं या करवा रही हैं? आश्चर्य इस बात का है कि सावित्री-सत्यवान के देश में पति की हत्या के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? सवाल उठता है कि सोनम/मुस्कान पर किसका असर हुआ? सवाल उठता है कि मैकाले, मिशनरी, मोंटेसरी शिक्षा या नैतिक शिक्षा का अभाव तो इस पतन का कारण नहीं हैं?
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सवाल उठता है कि घटिया सीरियल, घटिया वेब सीरीज, ड्रग और घटिया फिल्मों का इस तरह की घटनाओं में कितना बड़ा योगदान है? यह भी हैरत भरी बात है कि माता सीता-सावित्री से गार्गी-मैत्रेयी तक लगभग 500 महानतम माताओं ने भारत में जन्म लिया लेकिन इन्हें स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया। यही नहीं, राजा भरत से राजा विक्रमादित्य तक 500 महापुरुषों ने भारत में जन्म लिया लेकिन इन्हें भी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया। एक तरह से गुलामी की शिक्षा आज भी दी जा रही है जोकि इस तरह की बर्बादी का कारण बन रही है। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि सोनम और मुस्कान जैसी महिलाओं पर ही सारा आरोप लगाने की बजाय हमें उन परिस्थितियों पर भी गौर करना चाहिए जिसकी वजह से ऐसी घटनाएं हो रही हैं।
इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कई ऐसी बातें कही हैं जो ना सिर्फ मेघालय में घटे घटनाक्रम के मूल कारणों को उजागर करती हैं साथ ही इस बढ़ती समस्या का हल भी सुझाती हैं।
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