बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर भारत की चिंता बढ़ती जा रही है। भारत सरकार ने बांग्लादेश की सरकार से कहा है कि वह अल्पसंख्यक हिंदुओं की रक्षा करे। इस बीच कांग्रेस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिये बने असुरक्षा के माहौल पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार से मांग की है कि वह बांग्लादेश सरकार पर आवश्यक कदम उठाने और अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाले।
पवन कल्याण का बयान
वहीं आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने भी बांग्लादेश में इस्कॉन के एक पुजारी की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए एकजुटता का आह्वान किया है। पवन कल्याण ने पड़ोसी देश के अंतरिम प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस से ‘बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार’ को रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह भी किया है। पवन कल्याण ने कहा, “आइए, हम सब मिलकर बांग्लादेश पुलिस द्वारा इस्कॉन के पुजारी ‘चिन्मय कृष्ण दास’ को हिरासत में लिये जाने की घटना की निंदा करें। हम मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं पर अत्याचार रोकने का आग्रह और निवेदन करते हैं।” उन्होंने बांग्लादेश के निर्माण में भारतीय सेना के बलिदान को याद किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा, “बांग्लादेश के निर्माण में भारतीय सेना का खून बहा, हमारे संसाधन खर्च हुए, हमारे सेना के जवानों की जान गई। जिस तरह से हमारे हिंदू भाइयों और बहनों को निशाना बनाया जा रहा है, उससे हम बहुत परेशान हैं।”
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बांग्लादेश के हालात
हम आपको बता दें कि बांग्लादेश में प्रमुख हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को राजद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है और अदालत ने उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया। ढाका और चटगांव में हिंदू समुदाय के सदस्यों के विरोध प्रदर्शनों के बीच ब्रह्मचारी को कल जेल भेज दिया गया। बांग्लादेश पुलिस ने हिंदू संगठन ‘सम्मिलित सनातनी जोत’ के नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को ढाका में हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया था, जब वह चटगांव जा रहे थे। उन्हें चटगांव लाया गया। दास और 18 अन्य लोगों के खिलाफ 30 अक्टूबर को पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक नेता की शिकायत पर चटगांव के कोतवाली पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था। उन पर 25 अक्टूबर को हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान शहर के लालदीघी मैदान में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था। चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम की अदालत ने दास की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि दास को शहर के बाहर से गिरफ्तार किया गया है, तो कानून के अनुसार उन्हें 24 घंटे न्यायिक हिरासत में रखा जाना आवश्यक है। इसके बाद अदालत ने दास को जेल ले जाने का आदेश दिया और जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि हिंदू धर्मगुरु को जेल संहिता के अनुसार उनके धार्मिक रीतिरिवाज का अनुसरण करने की अनुमति दी जाए।
इस्कॉन कोलकाता का बयान
इस बीच, इस्कॉन कोलकाता ने कहा है कि उन्होंने बांग्लादेश में अपने पुजारियों और हिंदू वैष्णव धार्मिक संस्था के अन्य सदस्यों पर लगातार हो रहे हमलों के बारे में केंद्र सरकार को अवगत कराया है। इस्कॉन कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने बताया कि बांग्लादेश में इस्कॉन पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी इस्कॉन के पुजारियों और भक्तों के साथ-साथ हिंदुओं सहित अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर लगातार हो रहे हमलों और उत्पीड़न का उदाहरण है। राधारमण दास ने बताया, “इस्कॉन व रामकृष्ण मिशन जैसे अन्य हिंदू धार्मिक संगठनों के सदस्यों की गिरफ्तारी और इस्लामवादियों से मिल रही धमकियां पिछले तीन महीनों से जारी हैं। उन्होंने कहा कि दास की गिरफ्तारी अब तक की नई घटना है। स्थिति चिंताजनक है। हमने विदेश मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस तरह के हमलों से प्रभावित लोगों के जीवन और संपत्तियों को बचाने और उनकी रक्षा करने के लिए उचित कदम उठाने का आग्रह किया है।” इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष दास ने कहा, “हमने केंद्र सरकार से बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालने का आग्रह किया ताकि ऐसी घटनाएं रुकें।” उन्होंने कहा कि इस्कॉन यह भी चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र इस स्थिति पर संज्ञान ले और चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई के लिए जो भी आवश्यक हो वह करे।
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