1707 में जिस तरह क़ैद शाहजहाँ ने अपने बेटों को सत्ता के लिए लड़ते देखा था, उसी तरह बीमार लालू प्रसाद यादव ने 2025 के बिहार चुनावों से पहले अपनी विरासत को लहूलुहान होते देखा। लालू के दो लाल तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच तलवारें खिंची नजर आई। इस विवाद की वजह से यादव परिवार में दरार खुलकर सामने आ गई। लालू ने जिस पार्टी को अपने हाथों से खड़ा किया था, उसे बीजेपी और जेडीयू ने ध्वस्त कर दिया। बड़े बेटे तेज प्रताप को घर और राजद से निकाले जाने के बाद, उन्होंने खुद को अपनी दिवंगत दादी, मरचैय्या देवी के आशीर्वाद की ओर मुड़ते पाया। ऐसे में चर्या ये है कि क्या बिहार ने यादव परिवार में प्रतीकात्मक दारा शिकोह के अभिशाप को जीवंत होते देखा है। भारतीय जनता पार्टी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट से जरिए राष्ट्रीय जनता दल केके प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधा था। भाजपा ने चुनाव के बीच पोस्ट में औरंगजेब और दारा शिकोह का जिक्र किया था। अपने पोस्ट में बीजेपी ने लिखा था कि लालू यादव की मुगलिया सल्तनत के औरंगज़ेब ने दाराशिकोह की बलि ले ली है। वो औरंगज़ेब कौन है, आप ख़ुद जानिये।
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दारा शिकोह का श्राप
ऐसा लगता है कि बिहार के यादव परिवार पर दारा शिकोह का श्राप हावी हो गया। दारा शिकोह की तरह, जिनकी महत्वाकांक्षाओं और योग्यता को उनके छोटे भाई औरंगज़ेब ने कुचल दिया था। राजद नेता तेजस्वी यादव को भी अपने भाई तेज प्रताप यादव के निष्कासन और उनके आक्रामक रुख अपनाने के बाद एक बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। क्या परिवार में फूट की वजह से राजद को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा?
मनमौजी रुख ने तेज प्रताप को परिवार व पार्टी से किया दूर
यादव परिवार का बिखराव मई में ही शुरू हो गया था। लालू यादव के अप्रत्याशित और मनमौजी बड़े बेटे तेज प्रताप ने एक फेसबुक पोस्ट से बवाल मचा दिया। उन्होंने अनुष्का यादव के साथ अपने 12 साल के रिश्ते का दावा किया, जबकि उनका तलाक का मामला लंबा खिंच रहा था। कुछ घंटों बाद, उन्होंने बताया कि उनका अकाउंट हैक हो गया था। लेकिन नुकसान तो हो ही चुका था। कमज़ोर दिख रहे लालू प्रसाद ने यह कठोर कदम उठाया। उन्होंने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप को छह साल के लिए राजद से निष्कासित कर दिया और उनके साथ अपने सारे रिश्ते तोड़ लिए, उनके व्यवहार को गैर-ज़िम्मेदाराना” और पारिवारिक मूल्यों के विरुद्ध बताया। तेज प्रताप चुपचाप नहीं बैठे। उन्होंने विस्फोटक दावा किया कि राजद को बंधक बना लिया गया है, और एक खास जयचंद अपनी शर्तें मनवा रहा है।
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जयचंद कौन
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस ऐतिहासिक किरदार को तेजस्वी के विश्वासपात्र राज्यसभा सांसद संजय यादव से जोड़ा। तेज प्रताप से जुड़े विवाद के साथ ही, लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी। उन्होंने पार्टी, लालू और भाई तेजस्वी यादव के एक्स हैंडल्स को अनफॉलो कर दिया। कई रहस्यमयी और अक्सर भावुक पोस्ट के साथ, रोहिणी ने राजद और भाई तेजस्वी के खिलाफ अपना हमला तेज कर दिया।
भाई-भाई में ठनी
सितंबर आते-आते, तेज प्रताप ने अपनी पार्टी, जनशक्ति जनता दल, बना ली। उन्होंने गठबंधन बनाया और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी पुरानी सीट महुआ पहुँच गए। उन्होंने तेजस्वी को “बच्चा” कहकर चिढ़ाया, जिससे उस बड़े यादव परिवार में दरार और बढ़ गई जो कभी गर्व, एकजुटता और गौरव का प्रतीक था। नामांकन पत्र दाखिल करते समय तेजस्वी अपने माता-पिता दोनों के साथ थे, वहीं तेज प्रताप ने अपने पारिवारिक संबंध दिखाने के लिए अपनी दादी (लालू की माँ) की तस्वीर का इस्तेमाल किया। तेज प्रताप ने कहा कि मेरी दादी सर्वोच्च हैं। उनके आशीर्वाद से हम महुआ ही नहीं, बल्कि जनशक्ति जनता दल जिन सभी सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, उन सभी सीटों पर जीत हासिल करेंगे।” यादव परिवार द्वारा उनसे नाता तोड़ लेने पर, तेज प्रताप ने कहा महुआ मेरा परिवार है।
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