सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (5 मार्च) को 2018 मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया। कांग्रेस नेता ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित एक मामले में उन्हें जारी किए गए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन को रद्द करने की उनकी याचिका को खारिज करने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने शिवकुमार को राहत दी।
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इस मामले के सिलसिले में कांग्रेस नेता को सितंबर 2019 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था। अगले महीने दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। शिवकुमार ने तब भाजपा पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया था और कहा था कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। कांग्रेस नेता के खिलाफ ईडी की जांच 2017 में उनके और उनके सहयोगियों से जुड़े परिसरों पर आयकर विभाग की छापेमारी के बाद हुई थी। अधिकारियों ने तब कहा था कि इन छापों में लगभग 300 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की गई थी।
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शिवकुमार ने पलटवार करते हुए कहा था कि नकदी का संबंध भाजपा से है। पिछले साल नवंबर में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आपराधिक साजिश को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अनुसूचित अपराध के रूप में माना जाएगा, यदि कथित साजिश अधिनियम की अनुसूची में शामिल अपराध करने के लिए है। ईडी ने इस फैसले की समीक्षा की मांग की है। अदालत ने आज कहा कि अगर समीक्षा अनुरोध स्वीकार कर लिया जाता है तो एजेंसी आज के आदेश को वापस लेने के लिए स्वतंत्र है।
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